तुम्हारी तरह.....
..........तुम्हारी तरह.....
यूं तो ,जी लेते हम भी बिंदास जिंदगी
तुम्हारी तरह
घर मे कम कुछ नही था
किंतु,परिवार के साथ साथ
कुछ बाहरी जिम्मेदारियां भी थी
सिर्फ परिवार ही संसार नही होता
हर किसी की मुलाकात
हर घटना दुर्घटना
हर संदेश समाचार
अबतक ,कुछ न कुछ देते ही रहे हैं
हर सभी से मिलकर ही
पहुंचा हूं यहां तक
उन्हे अनदेखा कर
खुद को ही योग्य मान लेता
यही मुझसे न हो सका
उधार की जिंदगी है हमारी
सभी के ऋणी है
कहीं न कहीं ,किसी न किसी रूप मे
सामाजिकता के इस अर्थ को
ठुकराना एहसान फरामोशी हो होती
जी तो लेता मैं भी तुम्हारी तरह
किंतु ,पशु की तरह खाकर भाग जाना
मुझे नही आया
..........................
मोहन तिवारी,मुंबई
Punam verma
12-Nov-2023 08:48 AM
Very nice👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
12-Nov-2023 07:41 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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Reena yadav
11-Nov-2023 10:41 AM
👍👍
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